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दुनिया की सबसे कीमती सब्जी!

Rohini Singh

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वैसे तो आमतौर पर मांस मछलियों से काफी कम कीमत होती है, सब्जियों की। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी, कि दुनिया में ऐसी भी सब्जियां मौजूद है। जिसकी कीमत इतनी ज्यादा है, कि बड़े से बड़े अमीर व्यक्ति भी उसे खरीदने से पहले 10 बार जरूर सोचेंगे। तभी तो इस सब्जी को दुनिया की सबसे महंगी सब्जियों की लिस्ट में शामिल किया गया है। हालांकि यह बात सुनकर सभी लोग हैरान रह जाते हैं, कि कहीं सब्जियां भी इतनी महंगी होती है। लेकिन यह सच है, क्योंकि आज हम दुनिया की सबसे महंगी सब्जी के बारे में बताने वाले हैं। जिसकी कीमत आपको सोच से भी कहीं ज्यादा होती है। तो आइए जानते हैं, दुनिया के सबसे महंगे सब्जी के बारे में।

इस अनोखी सब्जी का नाम हॉफ शुट्स है।जिसका केवल जायका लेने के लिए आपको पूरे 82 हजार रुपे खर्च करने पड़ेंगे। इस सब्जी की कीमत 1000 यूरो यानी कि 82 हजार रुपे प्रति किलो है। हॉफ शुट्स नाम की इस अनोखी सब्जी का फूल भी खाया जाता है। इस का फूल लोगों को काफी पसंद आता है।  जिसे आप हॉफ कोन्स के नाम से जाना जाता है। खासकर इस फूल का इस्तेमाल बीयर बनाने के लिए किया जाता है। जबकि बाकी टहनियों को सलाद के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इस अनोखी सब्जी में कई अनगिनत औषधीयों के गुण पाए जाते हैं। जिसका इस्तेमाल एंटीबायोटिक दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है।

जानकारी के लिए बता दूं, कि इस सब्जी के इस्तेमाल से दांत के दर्द और टीवी जैसे गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। बहुत से लोग इसे कच्चा भी खाते हैं। और तो और लोग इस सब्जी का इस्तेमाल आचार बनाने के लिए भी करते हैं। 800 ईसवी के आसपास लोग इसे बियर में मिलाकर पिया करते थे। तब से लेकर अब तक यह प्रयोग जारी है। सबसे पहले इस सब्जी की खेती उत्तरी जर्मनी में शुरू हुई थी और उसके बाद धीरे-धीरे आज यह पूरे विश्व में फैल गया है।इसी के साथ हमें कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको यह अनोखी सब्जी के बारे में जानकर कैसा लगा और साथ ही हमें यह भी बताएं कि क्या आप यह सब्जी खाना चाहते हैं या नहीं।

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PUBG India game relaunch में क्यों हो रही है देरी, जान लीजिए!

Rohini Singh

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PUBG India game relaunch में क्यों हो रही है देरी:-PUBG यूजर्स की निजी जानकारी यानी डेटा की सुरक्षा और उसके स्टोरेज (Deta storage) से संबंधित गारंटी मिलने के बाद ही भारतीय बाजार में इसकी वापसी सही मायने में स्वीकार होगी. गौरतलब है कि यूजर इंफॉर्मेशन (User Sinformation) में लगी सेंध की वजह से ही PUBG Mobile पर बैन लगा था.



PUBG मोबाइल इंडिया के relaunch का भारतीय गेमिंग बाजार में बेसब्री से इंतजार हो रहा है. भारत और चीन के बीच तल्खी के बाद से भारत सरकार की तरफ से कई चीनी ऐप्स को प्रतिबंधित कर दिया गया था. इन्ही ऐप्स में लाखों यूथ का फेवरेट गेम PUBG Mobile भी शामिल था. अब इसकी भारतीय बाजार में दमदार वापसी होने जा रही है. PUBG मोबाइल इंडिया की तरफ से भारत में एक कामयाब वापसी सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है. इस सिलसिले में चीन की यूनिट टेनसेंट (Tencent) को हटाने के साथ डेटा गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए सभी सेफ्टी मानकों का पालन किया जा रहा है.


PUBG Corporation के बयान का इंतजार
हालांकि, टीजर रिलीज और निकट भविष्य में लॉन्चिंग की खबरों के बावजूद, PUBG Corporation ने अभी तक रिलीज डेट से संबंधित आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है. Android यूजर्स के लिए PUBG मोबाइल इंडिया डाउनलोड करने के लिए एक APK वर्जन सामने आया लेकिन उससे भी कोई खास जानकारी नहीं मिली. PUBG मोबाइल के री-लॉन्च को लेकर अभी तक कयास ही लग रहे हैं. और PUBG Corporation की ओर से लॉन्च डेट नहीं बनाई गई है

तो बड़ा सवाल ये है कि अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि क्यों नहीं हुई है? इसकी मुख्य वजह PUBG को अभी तक केंद्र सरकार की मंजूरी नहीं मिलना हो सकती है. यानी कंपनी अभी तक सरकारी इजाजत का इंतजार कर रही है. InsideSports की रिपोर्ट के मुताबिक, PUBG मोबाइल इंडिया को MEITY (इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय) की हरी झंडी के बगैर कंपनी आगे नहीं बढ़ सकती है. दरअसल मंत्रालय ने अन्य चीनी एप्स के साथ PUBG पर भी बैन लगाया था. वहीं PUBG की नई पंजीकृत इकाई पर सरकार की ओर से कोई अधिकृत बयान नहीं आया है.

रजिस्टर्ड कंपनी है PUBG
हाल ही में, PUBG India की ओर से कॉर्पोरेट मामलों से संबधी मंत्रालय के नियमों के तहत रजिस्टर्ड कंपनी के तहत स्थिति दर्ज कराई है. हालांकि, गेम के रिलॉन्च के लिए इसे कंपनी का पहला कदम नहीं माना जा सकता है. कारण ये भी है कि, ‘कोई भी प्रतिबंधित संस्थान सिर्फ नई कंपनी के सहारे फिर से अपने काम की शुरुआत नहीं कर सकती है. InsideSports को सूत्रों में मिली जानकारी के मुताबिक ‘Tik Tok’ या किसी भी अन्य प्रतिबंधित कंपनी को फिर से देश में काम शुरु करने के लिए हर हाल में MEITY से मंजूरी लेनी ही होगी.



Delay पर एक्सपर्ट की राय
हालांकि, भारत के कॉर्पोरेट संबंधी नियमों के जानकारों के मुताबिक, भारत में किसी भी व्यक्ति या व्यवसायिक कंपनी को वैध तरीके से संचालित करने के लिए, उन्हें पैन (PAN) या फिर जीएसटी नंबर (GST Number) की जरूरत होती है. संभव है कि PUBG मोबाइल इंडिया के पास ये दस्तावेज फिलहाल न हों या वो इन मानकों को पूरा करने के लिए समय सीमा संबंधी किसी और प्रोटोकाल के पूरा होने का इंतजार कर रहे हों. क्योंकि इसके बिना वो गेम की शुरुआत यानी भारतीय बाजार में वापसी नहीं कर सकते हैं.


डेटा सिक्योरिटी का पुख्ता इंतजाम
डेटा सुरक्षा की बात आती है, तो संभव है कि कंपनी ने Microsoft Azure के साथ अपने टाइअप को लेकर चर्चा की हो. Microsoft Azure एक क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विस कंपनी है जो डेटा सेंटर्स पर मौजूद संसाधनों की कंप्यूटिंग और स्टोरेज पर नजर रखने के साथ डेटा, सर्वर और यूजर्स की जानकारी सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाती है.


यानी PUBG यूजर्स की निजी जानकारी यानी डेटा की सुरक्षा और उसके स्टोरेज (Deta storage) से संबंधित गारंटी मिलने के बाद ही भारतीय बाजार में इसकी वापसी सही मायने में स्वीकार होगी. गौरतलब है कि यूजर इंफॉर्मेशन (User Sinformation) में लगी सेंध की वजह से ही PUBG Mobile पर बैन लगा था.

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रेल यात्रियों के लिए अच्छी खबर, 31 दिसंबर तक चलेंगी ये 13 स्पेशल ट्रेनें, यहां देखें पूरी लिस्ट!

Rohini Singh

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रेल यात्रियों के लिए अच्छी खबर है। भारतीय रेलवे (Indian Railways) के पूर्व मध्य रेलवे जोन ने कोरोना काल के बीच चल रही स्पेशल ट्रेनों के परिचालन का विस्तार करने है। अब ये ट्रेन 31 दिसंबर तक चलेंगी। पहले ये ट्रेन 30 नवंबर तक ही चलने वाली थी। लेकिन रेलवे ने कोरोना संक्रमण के बीच यात्रियों की सुविधाओं का ख्याल रखते हुए विशेष ट्रेनों का संचालन 31 दिसंबर तक बढ़ाने का ऐलान किया है।


दरअसल रेलवे ने कोविड-19 के बीच फेस्टिव सीजन में 30 नवंबर तक यात्रियों की सुविधाओं का ख्याल रखते हुए विशेष ट्रेनों का संचालन करने का ऐलान किया था। जिसके बाद से यात्रियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई थी कि क्या 30 नवंबर के बाद इन ट्रेनों का परिचालन बंद हो जाएगा। लेकिन रेलवे ने इन ट्रेनों का परिचालन 31 दिसंबर तक बढ़ा कर लोगों को बड़ी रहत दी है।

रेलवे ने बिहार के जयनगर, दरभंगा, बरौनी, रक्सौल, मुजफ्फरपुर और सहरसा से चल रही 13 स्पेशल ट्रेनों को अब 31 दिसंबर तक चलाने का फैसला किया है।


ट्रेनों की पूरी लिस्ट….

– 02521/02522 बरौनी- एरनाकुलम-बरौनी एक्सप्रेस

– 02577/02578 दरभंगा -मैसुर – दरभंगा एक्सप्रेस

– 02545/02546 रक्सौल-लोकमान्य तिलक टर्मिनल एक्सप्रेस

– 05547/05548 जयनगर – लोकमान्य तिलक टर्मिनल एक्सप्रेस

– 05272/05271 मुजफ्फरपुर – हावड़ा एक्सप्रेस

– 05559/05560 दरभंगा – अहमदाबाद एक्सप्रेस

– 05251/05252 दरभंगा – जालंधर सिटी एक्सप्रेस

– 05563/05564 जयनगर-उधना एक्सप्रेस

– 05531/05532 सहरसा – अमृतसर एक्सप्रेस

– 05267/05268 रक्सौल -लोकमान्य तिलक टर्मिनल एक्सप्रेस

– 05529/05530 सहरसा – आनंद विहार टर्मिनल एक्सप्रेस

– 03228/03227 राजेन्द्र नगर – सहरसा इंटरसिटी एक्सप्रेस

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पृथ्वी पहुंच गई Black Hole के करीब, जानिए, क्या होगा अब?

Rohini Singh

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मिल्की वे (Milky Way) गैलेक्सी (Galaxy) के नए नक्शे (MaP) से पता चला है कि जितना पहले समझा गया था हमारी पृथ्वी (Earth) अपनी गैलेक्सी के केंद्र वाले ब्लैकहोल (Black) के पास है.
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से पहले ब्लैकहोल (Black Hole) और पृथ्वी (Earth) की दूरी ज्यादा आंकी गई थी.

ब्रह्माण्ड (Universe) इतना विशाल है हमें बार बार इसके बारे में नई जानकारी मिलती रहती है. इतना ही नहीं पुरानी धारणाएं टूटने का सिलसिला भी कम नहीं है. हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि ब्रह्माण्ड में अब तक पृथ्वी (Earth) की जो स्थिति (Position) सोची या समझी गई थी वह गलत थी. इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने जब हमारी गैलेक्सी (Galaxy) मिल्की वे (Milky Way) का नया नक्शा बनाया तब उन्हें पता चला कि हमारे सौरमंडल (Solar System) की तो जगह ही कुछ और है.

शोध में हमारी गैलेक्सी का कैटेलॉग पब्लिकेशन्स ऑफ द एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ जापान में प्रकाशित हुआ है. हमारा सौरमंडल अब हमारी गैलेक्सी के केंद्र में स्थित ब्लैकहोल के ज्यादा पास है जबकि पहले यह थोड़ा दूर मापा गया था. हमारा सौरमंडल Sagittarius A* नाम के इस ब्लैकहोल की चक्कर भी तेजी से लगा रहा है.
क्या यह चिंता की बात है

लेकिन चूंकि हमारा सौरमंडल Sagittarius A* के अंदर की ओर नहीं जा रहा है इसलिए चिंता की बात नहीं है और इस बात से किसी तरह का खतरा नहीं है. इतना ही नहीं मिल्की वे का नक्शे में थोड़ा सुधार हुआ है और उसमें हमारी स्थिति और सटीकता से बताई गई है. यह सर्वे यह भी बताता है कि गैलेक्सी के अंतर होते हुए उसका त्रिआयामी नक्शा बनाना कितना मुश्किल काम होता है.

यह आ रही थी चुनौती
दरअसल मिल्की वे का सटीक नक्शा बनाने में यही सबसे बड़ी चुनौती है. इतना ही नही इससे हमारी अंतरिक्ष को अच्छे समझने में भी समस्या आ रही थी. दो आयामी (Two dimension) स्तर पर अंतरिक्ष के तारों और दूसरे पिंडों का नक्शा बनाना आसान है. लेकिन इन पिंडों के बीच की दूरी का अनुमान लगाना आसान नहीं है.
गैलेक्सी (Galaxy) में स्थित तारों और पिंडों की सटीक दूरी ऐसे नक्शों (Map)के लिए अहम होती है.

दूरी पता करने की अहमियत
इन पिंडों के बीच की दूरी पता करना बहुत ज्यादा जरूरी होता है. इससे हमें पिडों के अंदर की चमक का सही अनुमान लगाने में मदद मिलती है. इसका एक बढ़िया उदाहरण विशाल लाल तारा बीटेल्जूज है जो पिछले मापनों की तुलना में पृथ्वी के ज्यादा पास निकला. इसका मतलब यह हुआ कि यह न तो इतना चमकीला था और ना ही इतना बड़ा था जितना कि इसे समझा जा रहा था.
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ऐसे विश्लेषण में भी करना होगा बदलाव

इसी तरह सीके वुल्पेक्यूले नाम का एक तारे में 350 साल पहले विस्फोट हुआ था. वास्तव में यह ज्यादा दूरी पर है जिसका मतलब यह हुआ कि विस्फोट चमकीला और अधिक ऊर्जावान था. अब इसकी नई व्याख्या की जरूरत है क्योंकि इससे पहले का इसका विश्लेषण इस मान्यता के आधार पर हुआ था कि इसकी ऊर्जा कम थी.

आधुनिक तकनीक और उपकरणों से शोधकर्ता तारों (Stars) की सटीक दूरी नापने (measurement) में सफल रहे.

कैसे नापी पिंडों की दूरियां
अब हमारे खगोलविदों के पास दूरियों की गणना करने के लिए बेहतर उपकरण और तकनीक हैं जिससे एस्ट्रोमेट्री के जरिए सर्वे कर मिल्की वे का बेहतर त्रिआयामी नक्शा बना रहे हैं. ऐसा ही एक सर्वे जापान के वेरा VLBI एक्सप्लोरेशन रेडियो एस्ट्रोनॉमी सर्वे है. इसमें पूरे जापान में बहुत सारे रेडियो टेलीस्कोप का उपयोग किया गया जिसस एक 2300 किलोमीटर के व्यास डिश के समतुल्य रिजोल्यूशन का एक टेलीस्कोप के जैसा काम लिया गया. इसी सिद्धांत के आधार पर इवेंट होराइजन टेलीस्कोप ने से ब्लैकहोल की छाया की पहली सीधी तस्वीर ली गई थी.

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साल 2000 में शुरू हुए इन सर्वे में पैरेलैक्स तकनीक से विभिन्न तारों की दूरियां नापी गई. इस धार पर 99 पिंडों का एक कैटेलॉग बनाया गया. इस नक्शे के आधार पर शोधकर्ताओं ने गैलेक्सी के केंद्र की स्थिति निकाली. 1985 यह दूरी 27,700 प्रकाश वर्ष निकाली गई थी जो पिछले साल 26,673 प्रकाशवर्ष आंकी गई थी जबकि वेरा की गणना के आधार पर यह दूरी केवल 25800 प्रकाशवर्ष है

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