बिहार में 7200 करोड़ की लागत से बनेगा पहला फोरलेन एक्सप्रेस-वे, चार घंटे में तय होगी पटना की दूरी! - TODAY NEWS BIHAR
Connect with us

BIHAR

बिहार में 7200 करोड़ की लागत से बनेगा पहला फोरलेन एक्सप्रेस-वे, चार घंटे में तय होगी पटना की दूरी!

Rohini Singh

Published

on

बिहार का पहला फोरलेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे

औरंगाबाद से पटना होकर दरभंगा तक बनेगा. इसके बनने से राज्य के किसी भी हिस्से से पटना चार घंटे में पहुंचा जा सकेगा. करीब 7200 करोड़ रुपये की लागत से 205 किमी की लंबाई में इस एक्सप्रेस-वे को बनाने के लिए औरंगाबाद से पटना के बीच भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है. इसका निर्माण मार्च 2021 तक शुरू होने और करीब 30 महीने में पूरा होने की संभावना है.


80 फीसदी नयी सड़क होगी

उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाली इस सड़क से पटना का गया और दरभंगा एयरपोर्ट से सीधा संपर्क हो जायेगा. साथ ही इसका संपर्क जीटी रोड से भी हो जायेगा. सड़क बनाने की जिम्मेदारी एनएचएआइ को दी गयी है. सूत्रों के मुताबिक भारतमाला योजना के तहत बनने वाली इस सड़क में 80 फीसदी ग्रीनफील्ड रखा गया है. ग्रीन फील्ड का अर्थ है कि इस कॉरिडोर में 80 फीसदी नयी सड़क होगी. बीते दिनों एनएचएआइ की भू-अर्जन समिति की बैठक में इस सड़क को औरंगाबाद से जयनगर तक करीब 271 किमी की लंबाई में बनाने का प्रस्ताव था. समिति ने फिलहाल औरंगाबाद से दरभंगा तक के लिए इस सड़क की मंजूरी दी है. इसके बाद अगले चरण में इसका विस्तार दरभंगा से जयनगर तक किया जायेगा.

इन रास्तों से गुजरेगी सड़क

औरंगाबाद जिले के मदनपुर से शुरू होने वाली यह फोरलेन सड़क गया एयरपोर्ट के बगल से होते हुए जीटी रोड को भी कनेक्टिविटी देगी. गया से यह जहानाबाद और नालंदा के बॉर्डर से गुजरते हुए पटना में कच्ची दरगाह आयेगी और वहां से बिदुपुर के बीच बन रहे सिक्स लेन पुल से चकसिकंदर, महुआ के पूरब होते हुए ताजपुर से कल्याणपुर, समस्तीपुर तक जायेगी. वहां से दरभंगा एयरपोर्ट के समीप इस्ट-वेस्ट कॉरिडोर तक पहुंचेगी.

Also read:
Bihar corona update: बिहार में कोरोना के 278 नए मामले, पटना में मिले 109 पॉजिटिव मरीज, जानें अन्य जिलों का हाल…

चल रही है जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया
एनएचएआइ बिहार के क्षेत्रीय पदाधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल चंदन वत्स ने कहा कि यह सड़क बिहार के लिए बहुउपयोगी साबित होगी. फिलहाल औरंगाबाद से पटना के बीच तेजी से जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है जो जनवरी तक पूरी होने की संभावना है. इसके बाद पहले चरण में औरंगाबाद से पटना के बीच निर्माण कार्य के लिए टेंडर आमंत्रित किया जायेगा. मार्च 2021 से पहले चरण का निर्माण शुरू होने की संभावना है. इसके बाद पटना से दरभंगा के बीच भी भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया मार्च, 2021 तक पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है.

Don't Miss

20 लाख रुपये के 14 Apple iPhone 12 Pro Max लेकर डिलीवरी बॉय हुआ फरार!

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

BIHAR

प्रदूषण की वजह से इन जीवों ने खोया अपना घर, सामने आईं ये डरावनी तस्वीरें!

Rohini Singh

Published

on

दुनिया के बेहद ठंडे इलाकों में रहने वाले प्यारे से जीव अब शरणार्थी बन गए हैं. इन जीवों को अब दूसरी जगहों पर आशियाना खोजना पड़ रहा है. हाल ही में रूस के वैज्ञानिकों ने वॉलरस (Walrus) नामक जीवों की एक बड़ी कॉलोनी को खोजा जो अपने वास्तविक रिहायशी इलाके से दूर थे. इस कॉलोनी में करीब 3000 वॉलरस मौजूद थे. आइए जानते हैं कि आखिरकार इन्हें अपना घर क्यों छोड़ना पड़ा?

दुनिया के बेहद ठंडे इलाकों में रहने वाले प्यारे से जीव अब शरणार्थी बन गए हैं. इन जीवों को अब दूसरी जगहों पर आशियाना खोजना पड़ रहा है. हाल ही में रूस के वैज्ञानिकों ने वॉलरस (Walrus) नामक जीवों की एक बड़ी कॉलोनी को खोजा जो अपने वास्तविक रिहायशी इलाके से दूर थे. इस कॉलोनी में करीब 3000 वॉलरस मौजूद थे. आइए जानते हैं कि आखिरकार इन्हें अपना घर क्यों छोड़ना पड़ा और ये विस्थापितों का जीवन जीने के लिए क्यों मजबूर हो रहे हैं. 

रूसी वैज्ञानिकों ने देखा कि 3000 वॉलरस एक साथ रूस के यमल प्रायद्वीप के सुदूर और शांत इलाके में एक साथ मौजूद हैं. ये यहां पर अपना सामाजिक ताना-बाना बनाते दिख रहे हैं. प्रजनन क्रिया में व्यस्त हैं. लेकिन आमतौर पर इन कार्यों के लिए ये कारा सागर मैं तैरते हुए बर्फ के टुकड़ों पर जाते हैं. जबकि, इस बार ये प्यारे से जीव करीब 600 किलोमीटर दूर तट पर आ गए हैं. 

आर्कटिक सर्किल पर शोध कर रहे रूसी वैज्ञानिक एलेक्जेंडर सोकोलोव ने बताया कि यह अद्भुत नजारा है. आमतौर पर प्रजनन या सामाजिक गठजोड़ के लिए ये जीव कारा सागर में मौजूद बर्फ के टुकड़ों पर जाते थे. इस बार, ये तट पर आ गए हैं. यानी कारा सागर में इतना बड़ा समुद्री बर्फ का टुकड़ा नहीं बचा जहां ये अपनी निजी और सामाजिक जीवन को जी सके ।

इस कॉलोनी में नर, मादा के साथ-साथ हर उम्र के शावक भी हैं. एलेक्जेंडर ने बताया कि इन जीवों का अध्ययन करने के लिए यह एक खुली प्रयोगशाला जैसा है. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर ने साल 2016 में वॉलरस जीवों को लगभग लुप्तप्राय की सूची में डाला था. दुनिया भर में इनकी आबादी करीब 12,500 के आसपास है. 

इनके शिकार पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध लगा हुआ है लेकिन चोरी-छिपे इनका शिकार किया जाता है. इनके दांत और चमड़े का अवैध कारोबार किया जाता है. मैरीन मैमल रिसर्च एंड एक्सपेडिशन सेंटर के वैज्ञानिक आंद्रेई बोल्टूनोव ने कहा कि अटलांटिक वॉलरस की आबादी तो बढ़ रही है लेकिन इनके रहने की जगह खत्म हो रही है।

आंद्रेई ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग और इंसानी हरकतों की वजह से ये जिस ठंडे इलाके में रहते हैं वहां बर्फ पिघल रही है. इसकी वजह से इन्हें दूसरे इलाकों की तरफ जाना पड़ता है. पिछले कुछ दशकों में कारा सागर में आइस-फ्री सीजन का समय अंतराल बढ़ गया है. इसकी वजह से वॉलरस जीवों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

वैज्ञानिकों ने कुछ वॉलरस के डीएनए भी लिए हैं. इसके अलावा अलग-अलग कॉलोनियों में मौजूद कुछ वॉलरस की सैटेलाइट टैगिंग की है, ताकि उनके मूवमेंट का पता किया जा सके. इसकी वजह से वॉलरस जीवों के व्यवहार में आने वाले बदलावों का अध्ययन करना आसान हो जाता है. ।

Continue Reading

BIHAR

LPG Cylinder Subsidy: खाते में एलपीजी सिलेंडर की सब्सिडी जमा हो रही या नहीं, घर बैठे ऐसे पता करें!

Rohini Singh

Published

on

LPG Cylinder Subsidy:- घरेलू रसोई गैस सिलेंडर का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं को यह जानने की सबसे ज्यादा उत्सुकता रहती है कि उसके खाते में सब्सिडी के कितने रुपए जमा हुए। कई ग्राहकों की शिकायत भी रहती है कि उनके खाते में सब्सिडी की राशि जमा नहीं हो पा रही है या किसी और खाते में जा रही है। इस समस्या का समाधान बहुत आसान है। सरकार ने व्यवस्था की है कि लोग घर बैठे अपने मोबाइल से पता लगा सकते हैं कि उनके खाते में सब्सिडी की रकम जमा हुआ है या नहीं और हां, तो कितने रुपए जमा हुए। जानिए इसका तरीका

सबसे पहले http://Mylpg.in वेबसाइट पर जाएं। यहां तीनों पेट्रोलियम कंपनियों (एचपी, भारत और इंडेन) के लोगो वाले टैब दिखाई देंगे। अपनी सिलेंडर की कंपनी पर क्लिक करें।

नया पेज खुलेगा, जिस पर बार मेन्यू में जाएं और अपना 17 अंकों का LPG ID दर्ज करें। यदि LPG ID पता नहीं है, तो ‘Click here to know your LPG ID’ पर क्लिक कर वहां बताए गए चरण पूरे कर इसका पता लगाया जा सकता है।

यहां अपना रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर, LPG उपभोक्ता आईडी, राज्य का नाम, वितरक की जानकारी दर्ज करें। कैप्चाकोड दर्ज करने के बाद प्रोसेस बटन पर क्लिक करें। जो नया पेज खुलेगा, उस पर आपका LPG ID साप दिखाई देना चाहिए।

एक पॉप-अप पर आपके खाते का विवरण दिखाना देखा। यहां बताया जाएगा कि आपका बैंक खाता और आधार आपके एलपीजी खाते से लिंक हैं या नहीं। साथ ही यह जानकारी भी मिलेगी कि आपने सब्सिडी का विकल्प छोड़ दिया है

पेज के बाईं ओर ‘सिलेण्डर बुकिंग हिस्ट्री / सब्सिडी ट्रांसफर देखें’ पर क्लिक करें। यहां आप सब्सिडी राशि देख पाएंगे। यहां पिछले महीनों में बुलाए गए सिलेंडर और उनके ऐवज में आपका खाते में जमा हुई सब्सिडी की राशि भी दिखाई देगी।


इस तरह रसोई गैस सब्सिडी बैंक खाते में जमा हुई है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए परेशान होने या बैंक जाने की जरूरत नहीं है। इसे आप अपने मोबाइल से घर बैठे पता लगा सकते हैं। ध्यान रहे, एक बार लॉगिन की प्रोसेस पूरी करने के बाद अगली बार सब्सिडी का पता लगाना आसान हो जाता है

Continue Reading

BIHAR

दक्षिण भारत में क्यों बैन किए जा रहे हैं ऑनलाइन गेम्स?

Rohini Singh

Published

on

अध्यादेश (Ordinance) में यह भी कहा गया कि ऑनलाइन गेमिंग या जुए जैसी गतिविधियों की कंपनी चलाने वाले लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. जानें आखिर किन राज्यों (South India) में लग रहा है यह प्रतिबंध और इसके क्या मायने हैं

PUBG, काउंटर स्ट्राइक (CS), पोकर, रमी और इसी तरह के कई ऑनलाइन गेम्स (Online Games) को तमिलनाडु में प्रतिबंधित कर दिया गया है. इस बीच यह भी चर्चा में है कि कुछ और राज्य भी इस तरह के कदम उठाने पर विचार (Ban on Online Games) कर रहे हैं. ऐसा क्यों हो रहा है? यह जानने के साथ ही आपको जानना चाहिए कि ऑनलाइन गेम्स बैन करने वाले तमिलनाडु में राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित (Banwarilal Purohit) ने जिस व्यवस्था को मान्यता दी है, उसके मुताबिक अब 5000 रुपये तक का जुर्माना या छह महीने तक की कैद हो सकती है.

असल में 1990 के दशक में अमेरिका और जापान में गेमिंग आर्केड काफी लोकप्रिय हुए थे. भारत में भी यह गेमिंग कल्चर आया और जल्द ही चिप के ज़रिये आर्केड से घरेलू कंप्यूटरों तक पहुंच गया, जिसमें एक से ज़्यादा खिलाड़ी टीम बनाकर या एक दूसरे के खिलाफ खेल सकते थे. फिर स्मार्टफोन और इंटरनेट क्रांति के बाद मोबाइल फोन पर ये तमाम गेम्स ऑनलाइन खेलना संभव हो गया. अब आप दुनिया में कहीं भी मौजूद किसी भी व्यक्ति के साथ कुछ ही पैसे खर्च करके ये गेम्स खेल सकते हैं, जिन्हें तमिलनाडु ने अब बैन कर दिया है.


राज्यपाल ने जो अध्यादेश जारी किया है, उसके मुताबिक ऑनलाइन गेम्स की वजह से राज्य में लोगों के साथ धोखाधड़ी के कई मामले सामने आए हैं और खासकर युवा वर्ग के लोगों के बीच खुदकुशी की वजह भी यह गेम्स रहे. इस तरह के फ्रॉड और सुसाइड केस पर रोकथाम के लिए तमिलनाडु ने बैन का कदम उठाया है. सिर्फ गेम्स ही नहीं, इस बैन का दायरा और भी बड़ा है.
ये भी पढ़ें :- कोविड-19 की नई लहर: कैसे भारत, अमेरिका और यूरोप फिर हैं चपेट में?

कर्नाटक भी Online गेम्स प्रतिबंध करने पर विचार कर रहा है.
कंप्यूटर या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के ज़रिये साइबरस्पेस में किसी भी किस्म के जुए के साथ ही इस तरह की किसी भी गतिविधि के लिए प्राइज़ मनी बांटने के लिए रकम का ई-ट्रांसफर भी बैन कर दिया गया है. इसका मतलब यह है कि अब राज्य के युवा या कोई भी व्यक्ति राज्य के भीतर मोबाइल फोन से लेकर गेमिंग ज़ोन में जाकर भी ऑनलाइन गेम्स और उनके टूर्नामेंट में शरीक नहीं हो सकेगा.

गौरतलब है कि कुछ ऑनलाइन गेम्स में साप्ताहिक से लेकर समय समय पर कई तरह के टूर्नामेंट आयोजित किए जाते हैं. आइए अब समझते हैं कि यह इतनी बड़ी बहस आखिर हो कैसे गई.

क्यों बड़ा मुद्दा हैं ऑनलाइन गेम्स?
ये खेल वाकई किसी स्किल से जुड़े हैं, किसी हुनर से या फिर ये पूरी तरह से किस्मत पर आधारित हैं? यह प्रश्न बड़ी बहस को हमेशा उकसाता रहा है. इसके बाद, जब ऑनलाइन गेम्स में पैसा शामिल हो जाता है, यानी जुए या प्राइज़ मनी की रकम, तो स्थितियां और उलझती हैं क्योंकि यहां से साइबर फ्रॉड की शुरूआत होती है. चूंकि ऑनलाइन गेम्स और गैंबलिंग को लेकर कोई नियम कायदे तय नहीं हैं, इसलिए अधिकतर खिलाड़ी खुद को छला हुआ महसूस करते हैं.

इन गेम्स के आलोचक यह भी कहते हैं कि जबसे मोबाइल फोन पर बच्चों या नौजवानों तक ये खेल पहुंच गए हैं, तो कई बार महंगे गेमिंग एड-ऑन खरीदने के लिए पैसे नहीं होते और इन किशोरों को कई तरह के तनाव से गुज़रना पड़ता है क्योंकि वो अपने साथियों के साथ इस खेल में शामिल नहीं हो पाते.

क्या कहीं और भी है बैन?
भारत में असम, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, केरल, महाराष्ट्र, मिज़ोरम, नागालैंड, पंजाब, सिक्किम और पश्चिम बंगाल, इन 10 राज्यों में अपना लॉटरी सिस्टम है, लेकिन पूरी निगरानी और नियंत्रण के साथ. इसके अलावा, देश भर में गैंबलिंग जैसे खेल प्रतिबंधित हैं. अब रही बात ऑनलाइन गैंबलिंग या गेम्स की, तो आंध्र प्रदेश और तेलंगाना पहले ही बैन संबंधी गाइडलाइन्स जारी कर चुके हैं, जबकि तमिलनाडु के इस बैन के बाद ये भी कहा जा रहा है कि कर्नाटक भी सख्त बैन की तैयारी में है

Continue Reading
Advertisement
BIHAR4 seconds ago

बिहार में 7200 करोड़ की लागत से बनेगा पहला फोरलेन एक्सप्रेस-वे, चार घंटे में तय होगी पटना की दूरी!

INDIA19 mins ago

20 लाख रुपये के 14 Apple iPhone 12 Pro Max लेकर डिलीवरी बॉय हुआ फरार!

BIHAR2 hours ago

प्रदूषण की वजह से इन जीवों ने खोया अपना घर, सामने आईं ये डरावनी तस्वीरें!

INDIA4 months ago

देश की राजधानी दिल्ली में हुआ 14 साल की बच्ची का रेप!

PATNA4 months ago

पटना की सेक्स रैकेट की खुलासा पैसे वालो के लिए होती थी खाश इंतजाम

BIHAR4 months ago

बिहार में हो रहे शिक्षक नियोजन में बार बार आ रही है रुकावटे देखिये आगे क्या हुआ

Trending

  • INDIA4 months ago

    देश की राजधानी दिल्ली में हुआ 14 साल की बच्ची का रेप!

  • PATNA4 months ago

    पटना की सेक्स रैकेट की खुलासा पैसे वालो के लिए होती थी खाश इंतजाम

  • BIHAR4 months ago

    बिहार में हो रहे शिक्षक नियोजन में बार बार आ रही है रुकावटे देखिये आगे क्या हुआ

  • INDIA4 months ago

    पत्नी के थे  14 पुरुषों के साथ अवैध संबंध,पति ने किया 100 करोड़ के मानहानि का दावा!

  • INDIA4 months ago

    सुनीता यादव ने दे दिया अपने पद से स्तीफा! जाने क्या है पूरा मामला

  • Business3 months ago

    कोई नहीं पढ़ पाएगा आपकी WhatsApp चैट, इस सेटिंग से बनाएं व्हाट्सऐप डेटा को सुरक्षित!

  • BIHAR4 months ago

    तिरहुत नहर के तटबंध के टूट जाने से आस पास के गांव में तेजी से फैल रहा पानी!

  • INDIA4 months ago

    Breaking news- झारखण्ड सरकार का बरा फैसला