अध्यादेश (Ordinance) में यह भी कहा गया कि ऑनलाइन गेमिंग या जुए जैसी गतिविधियों की कंपनी चलाने वाले लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. जानें आखिर किन राज्यों (South India) में लग रहा है यह प्रतिबंध और इसके क्या मायने हैं
PUBG, काउंटर स्ट्राइक (CS), पोकर, रमी और इसी तरह के कई ऑनलाइन गेम्स (Online Games) को तमिलनाडु में प्रतिबंधित कर दिया गया है. इस बीच यह भी चर्चा में है कि कुछ और राज्य भी इस तरह के कदम उठाने पर विचार (Ban on Online Games) कर रहे हैं. ऐसा क्यों हो रहा है? यह जानने के साथ ही आपको जानना चाहिए कि ऑनलाइन गेम्स बैन करने वाले तमिलनाडु में राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित (Banwarilal Purohit) ने जिस व्यवस्था को मान्यता दी है, उसके मुताबिक अब 5000 रुपये तक का जुर्माना या छह महीने तक की कैद हो सकती है.
असल में 1990 के दशक में अमेरिका और जापान में गेमिंग आर्केड काफी लोकप्रिय हुए थे. भारत में भी यह गेमिंग कल्चर आया और जल्द ही चिप के ज़रिये आर्केड से घरेलू कंप्यूटरों तक पहुंच गया, जिसमें एक से ज़्यादा खिलाड़ी टीम बनाकर या एक दूसरे के खिलाफ खेल सकते थे. फिर स्मार्टफोन और इंटरनेट क्रांति के बाद मोबाइल फोन पर ये तमाम गेम्स ऑनलाइन खेलना संभव हो गया. अब आप दुनिया में कहीं भी मौजूद किसी भी व्यक्ति के साथ कुछ ही पैसे खर्च करके ये गेम्स खेल सकते हैं, जिन्हें तमिलनाडु ने अब बैन कर दिया है.
राज्यपाल ने जो अध्यादेश जारी किया है, उसके मुताबिक ऑनलाइन गेम्स की वजह से राज्य में लोगों के साथ धोखाधड़ी के कई मामले सामने आए हैं और खासकर युवा वर्ग के लोगों के बीच खुदकुशी की वजह भी यह गेम्स रहे. इस तरह के फ्रॉड और सुसाइड केस पर रोकथाम के लिए तमिलनाडु ने बैन का कदम उठाया है. सिर्फ गेम्स ही नहीं, इस बैन का दायरा और भी बड़ा है.
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कर्नाटक भी Online गेम्स प्रतिबंध करने पर विचार कर रहा है.
कंप्यूटर या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के ज़रिये साइबरस्पेस में किसी भी किस्म के जुए के साथ ही इस तरह की किसी भी गतिविधि के लिए प्राइज़ मनी बांटने के लिए रकम का ई-ट्रांसफर भी बैन कर दिया गया है. इसका मतलब यह है कि अब राज्य के युवा या कोई भी व्यक्ति राज्य के भीतर मोबाइल फोन से लेकर गेमिंग ज़ोन में जाकर भी ऑनलाइन गेम्स और उनके टूर्नामेंट में शरीक नहीं हो सकेगा.
गौरतलब है कि कुछ ऑनलाइन गेम्स में साप्ताहिक से लेकर समय समय पर कई तरह के टूर्नामेंट आयोजित किए जाते हैं. आइए अब समझते हैं कि यह इतनी बड़ी बहस आखिर हो कैसे गई.
क्यों बड़ा मुद्दा हैं ऑनलाइन गेम्स?
ये खेल वाकई किसी स्किल से जुड़े हैं, किसी हुनर से या फिर ये पूरी तरह से किस्मत पर आधारित हैं? यह प्रश्न बड़ी बहस को हमेशा उकसाता रहा है. इसके बाद, जब ऑनलाइन गेम्स में पैसा शामिल हो जाता है, यानी जुए या प्राइज़ मनी की रकम, तो स्थितियां और उलझती हैं क्योंकि यहां से साइबर फ्रॉड की शुरूआत होती है. चूंकि ऑनलाइन गेम्स और गैंबलिंग को लेकर कोई नियम कायदे तय नहीं हैं, इसलिए अधिकतर खिलाड़ी खुद को छला हुआ महसूस करते हैं.
इन गेम्स के आलोचक यह भी कहते हैं कि जबसे मोबाइल फोन पर बच्चों या नौजवानों तक ये खेल पहुंच गए हैं, तो कई बार महंगे गेमिंग एड-ऑन खरीदने के लिए पैसे नहीं होते और इन किशोरों को कई तरह के तनाव से गुज़रना पड़ता है क्योंकि वो अपने साथियों के साथ इस खेल में शामिल नहीं हो पाते.
क्या कहीं और भी है बैन?
भारत में असम, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, केरल, महाराष्ट्र, मिज़ोरम, नागालैंड, पंजाब, सिक्किम और पश्चिम बंगाल, इन 10 राज्यों में अपना लॉटरी सिस्टम है, लेकिन पूरी निगरानी और नियंत्रण के साथ. इसके अलावा, देश भर में गैंबलिंग जैसे खेल प्रतिबंधित हैं. अब रही बात ऑनलाइन गैंबलिंग या गेम्स की, तो आंध्र प्रदेश और तेलंगाना पहले ही बैन संबंधी गाइडलाइन्स जारी कर चुके हैं, जबकि तमिलनाडु के इस बैन के बाद ये भी कहा जा रहा है कि कर्नाटक भी सख्त बैन की तैयारी में है