School Reopen : कोरोना के चलते इन 11 राज्‍यों में 30 नवंबर तक बंद रहेंगे सरकारी और निजी स्‍कूल, आदेश जारी! - TODAY NEWS BIHAR
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School Reopen : कोरोना के चलते इन 11 राज्‍यों में 30 नवंबर तक बंद रहेंगे सरकारी और निजी स्‍कूल, आदेश जारी!

Rohini Singh

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School Reopen:- देश में एक बार फिर से कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। अनलॉक के विभिन्‍न चरणों ने सरकार ने स्‍कूल खोले जाने की घोषणा भी की थी और गाइडलाइन भी जारी की थी लेकिन अब हालात अचानक बदल गए हैं। अब अभिभावक अपने बच्‍चों को स्‍कूल नहीं भेजना चाहते हैं। दूसरी तरफ, राज्‍य सरकारें भी अब स्‍कूल बंद करने के नए आदेश कर रही हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के बाद देश भर के कई राज्यों ने स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों को ‘श्रेणीबद्ध’ तरीके से फिर से खोलने की अनुमति दी थी। हालांकि, कई राज्यों ने एक बार फिर देश भर में COVID-19 मामलों में स्पाइक के बाद स्कूलों को फिर से खोलने के अपने फैसले पर यू-टर्न ले लिया है। हरियाणा में 200 से अधिक विद्यार्थियों के कोरोना संक्रमित मिलने के बाद सभी सरकारी और निजी स्कूलों में 30 नवंबर तक न तो कक्षाएं लगेंगी और न ही परामर्श के लिए कोई विद्यार्थी स्कूल आ सकेगा। सभी शिक्षकों को भी घर से ही आनलाइन पढ़ाई कराने को कहा गया है।

महाराष्ट्र सरकार ने MBC बृहन्मुंबई महानगरपालिका यानी बीएमसी के तहत आने वाले स्कूलों को 31 दिसंबर तक बंद रखने का फैसला किया है। गुजरात सरकार ने स्‍कूलों को खोलने का फैसला टाल दिया है। सरकारी व निजी स्कूलों में कोविड संक्रमण के कई मामले सामने आए हैं। जानिये किस राज्‍य में क्‍या हालात हैं।

महाराष्ट्र:-

महाराष्ट्र के स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से 23 नवंबर से फिर से खोलने की अनुमति दी गई थी। हालांकि, बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने शुक्रवार को घोषणा की कि उसके अधिकार क्षेत्र के सभी स्कूल बढ़ते कोरोनोवायरस मामलों के मद्देनजर 31 दिसंबर तक बंद रहेंगे।

हरियाणा:-

महाराष्ट्र की तरह, हरियाणा ने भी अपने स्कूलों को बंद कर दिया है, लेकिन 30 नवंबर तक तीन जिलों के लगभग 150 छात्रों ने COVID-19 का परीक्षण किया। राज्य सरकार ने अब सभी अधिकारियों से उन स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा है जो COVID-19 सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे हैं।


कर्नाटक:-

कर्नाटक सरकार राज्य में स्कूलों को फिर से खोलने के अपने फैसले को टाल रही है। शुक्रवार को, राज्य के शिक्षा मंत्री, एस सुरेश कुमार ने भी कहा था कि कर्नाटक अभी तक स्कूलों को फिर से खोलने के किसी भी निर्णय पर नहीं आया है। उन्होंने कहा, “हमने माता-पिता सहित विभिन्न हितधारकों के साथ संपूर्ण बैठकें करके पर्याप्त जानकारी एकत्र की है। उनमें से कुछ फिर से खोलने के पक्षधर हैं और कुछ ने दृढ़ता से विरोध किया है, इसलिए हमने अभी तक स्कूलों को फिर से खोलने पर कोई आधिकारिक रुख नहीं अपनाया है।”


गुजरात:-

गुजरात में, बढ़ते कोरोनावायरस मामलों के मद्देनजर 23 नवंबर से स्कूलों को फिर से खोलने के अपने फैसले को राज्य सरकार ने रद्द कर दिया है। राज्य सरकार ने अब सूचित किया है कि स्कूलों को फिर से खोलने के बारे में निर्णय गुजरात में COVID-19 संकट का विश्लेषण करने के बाद ही लिया जाएगा।

तमिलनाडु:-

गुजरात की तरह, तमिलनाडु सरकार ने भी COVID -19 के बढ़ते मामलों के बीच स्कूलों को फिर से खोलने के अपने फैसले पर यू-टर्न ले लिया है। राज्य सरकार ने कहा है कि वह स्कूलों को फिर से खोलने पर अंतिम निर्णय लेने से पहले एक बार फिर से तमिलनाडु की स्थिति का विश्लेषण करेगी। “स्कूलों को फिर से खोलना अभी के लिए टाल दिया गया है। 16 नवंबर से कक्षा 9, 10, 11 और 12 के लिए स्कूलों को फिर से खोलने का आदेश वापस ले लिया गया है। अंतिम वर्ष के छात्रों और अनुसंधान विद्वानों को कक्षाओं में भाग लेने और छात्रावासों में रहने की अनुमति दी जाएगी।” “तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एडप्पादी पलानीस्वामी ने कहा।

दिल्ली:-

दिल्ली सरकार पहले ही कह चुकी है कि एक बार महामारी के नियंत्रण में आने के बाद राष्ट्रीय राजधानी के स्कूलों को फिर से खोलने की अनुमति दी जाएगी। “हम माता-पिता से प्रतिक्रिया प्राप्त करते रहते हैं कि वे वास्तव में चिंतित हैं कि क्या यह स्कूलों को फिर से खोलने के लिए सुरक्षित है। यह नहीं है। जहां कहीं भी स्कूल फिर से खुल गए हैं, वहां बच्चों के बीच COVID-19 मामले बढ़ गए हैं। इसलिए हमने फैसला किया है कि अब स्कूलों के रूप में। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पहले कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी फिर से नहीं खोली जाएगी।

उत्तराखंड:-

उत्तराखंड में, राज्य सरकार ने 2 नवंबर से स्कूलों को 10 वीं और 12 वीं कक्षा के लिए फिर से खोलने की अनुमति दी थी, यह देखते हुए कि सभी COVID-19 प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।

आंध्र प्रदेश:-

उत्तराखंड की तरह, आंध्र प्रदेश ने भी छात्रों के लिए वैकल्पिक दिनों पर कक्षाओं के साथ 2 नवंबर से स्कूलों को फिर से खोलने की अनुमति दी थी।

असम:-

असम ने 2 नवंबर से स्कूलों को फिर से खोलने की अनुमति दी थी। इसने कहा था कि “कोरोनोवायरस फैलने के जोखिम को कम करने के लिए स्कूल ऑड-ईवन प्रणाली का पालन करेंगे”। “सभी छात्र एक समय में स्कूलों में नहीं आएंगे और वे सुबह और दोपहर की पाली में विभिन्न बैचों में स्कूलों में भाग लेंगे। पहले बैच और छात्रों के दूसरे बैच का निर्धारण संस्था के प्रमुख द्वारा किया जाएगा।” उन्होंने कहा, “छात्रों का पहला जत्था सुबह 8 बजे आएगा और दोपहर 12 बजे तक रहेगा और छात्रों का दूसरा जत्था दोपहर 12.30 बजे आएगा और 3.30 बजे तक रहेगा।”

उत्तर प्रदेश:-

उत्तर प्रदेश में, कक्षा 9 वीं से 12 वीं तक के स्कूलों को श्रेणीबद्ध तरीके से फिर से खोल दिया गया है। राज्य सरकार के अनुसार, छात्रों को अभिभावक की सहमति से उनके स्कूल जाने की अनुमति है। कोरोनावायरस महामारी के मद्देनजर 25 मार्च से देश भर के स्कूल बंद कर दिए गए थे। हालांकि, उन्हें श्रेणीबद्ध तरीके से फिर से खोलने की अनुमति दी गई थी।

हरियाणा में 16 नवंबर को ही खुले थे स्‍कूल

हरियाणा में 30 नवंबर तक सरकारी और प्राइवेट स्‍कूल बंद रखे जाएंगे। प्रदेश सरकार ने विद्यार्थियों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए स्कूलों को बंद रखने का फैसला लिया है। स्कूलों में अध्यापकों को भी नहीं आने के निर्देश जारी किए गये हैं। 16 नवंबर को ही स्‍कूल खोले गए थे और प्रदेशभर के कई स्‍कूलों में शिक्षक और विद्यार्थी संक्रमित मिल चुके हैं। अब प्रदेश सरकार ने सरकारी व निजी स्कूलों में कोविड संक्रमण के मध्यनजर 30 नवंबर तक स्कूलों को बंद रखने के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं। जिसके तहत स्कूलों में लॉकडाउन रहेगा।

स्कूलों में होगा सैनिटाइजर का छिड़काव

प्रदेश में कोरोना के चलते 21 मार्च से बंद चल रहे स्कूलों को 21 सितंबर को नौवीं से बारहवीं तक के विद्यार्थियों के लिए खोला गया था ताकि वह विभिन्न विषयों की पढ़ाई में आ रही दिक्कतों पर शिक्षकों से परामर्श ले सकें। स्कूल खोलने व विद्यार्थियों को बुलाने वाले स्कूलों पर कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा विभाग के शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारी व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को इस संदर्भ में निर्देश जारी कर दिए हैं। स्कूलों में पूरी तरह से सैनिटाइजर का छिड़काव किया जाएगा। कोविड संक्रमण को लेकर स्कूलों में पूरी सावधानी बरती जाएगी। जिससे भविष्य में जल्द ही विद्यार्थियों की पढ़ाई जारी रखी जा सके।

गुजरात सरकार भी बंद रखेगी स्‍कूल

गुजरात में भी कोरोना संक्रमण में तेजी देखी जा रही है। इसे देखते हुए राज्‍य सरकार ने स्कूलों को खोलने की तारीख को और आगे बढ़ा दिया है। समाचार एजेंसी आइएएनएस के मुताबिक, गुजरात सरकार ने सरकार ने गुरुवार की रात को स्‍कूलों को खोले जाने के अपने पूर्व के फैसले को टालते हुए सभी सरकारी और प्राइवेट शैक्षिक संस्थानों को बंद ही रखने का फैसला किया है। यही नहीं सरकार ने राज्‍य की आर्थिक राजधानी अहमदाबाद रात को नौ बजे से लेकर सुबह छह बजे तक नाइट कर्फ्यू भी लगाने का आदेश जारी किया है।

मुंबई में 31 दिसंबर तक बंद रहेंगे स्‍कूल

महाराष्‍ट्र की बात करें तो महानगर मुंबई में पहले 23 नवंबर से नौ से 12वीं तक की कक्षाएं शुरू होनी थीं। इस बीच राज्‍य सरकार ने संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए स्‍कूली गतिविधियों को शुरू करने के फैसले को टाल दिया है। बृहन्मुंबई महानगरपालिका यानी बीएमसी ने महानगर में 31 दिसंबर तक स्कूलों बंद रखने का फैसला किया है। मेयर किशोरी पेडनेकर ने कहा कि बीएमसी के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी स्कूल 31 दिसंबर तक पूर्ववत बंद रहेंगे।

गोवा में कक्षा 10 और 12 के लिए स्कूल फिर से बंद

गोवा में कक्षा 10 और 12 के लिए स्कूलों को शनिवार को फिर से बंद कर दिया गया क्योंकि लगभग आठ महीने तक COVID-19 महामारी के कारण बंद रहा। राज्य सरकार ने स्कूलों से कहा है कि वे छात्रों की थर्मल स्क्रीनिंग, हाथ से सफाई करना, मास्क पहनना, कक्षाओं में SOP का कड़ाई से पालन करें। सरकार ने प्रारंभिक चरण में कक्षा 10 और 12 के लिए स्कूलों को 21 नवंबर से फिर से खोलने की अनुमति देने का फैसला किया था। मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, जो शिक्षा विभाग भी संभालते हैं, ने 4 नवंबर को घोषणा की थी कि इन संस्थानों द्वारा सभी COVID-19 सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा। पीटीआई से बात करते हुए, राज्य शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “गोवा में स्कूल शनिवार सुबह 10 और 12 वीं कक्षा के लिए फिर से खुल गए। स्कूल यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक एसओपी को अपना रहे हैं कि कक्षाएँ सुरक्षित हों। प्रबंधन को अग्रिम सूचना दी गई थी। ताकि वे कक्षाएं फिर से शुरू करने के लिए तैयार हो सकें। ”

शिक्षा विभाग ने स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला करने से पहले माता-पिता, शिक्षकों और प्रबंधन सहित सभी हितधारकों से परामर्श किया था। शहर के एक स्कूल के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, “हमने स्कूल के प्रवेश बिंदु पर थर्मल गन स्थापित की हैं। हमने छात्रों के लिए अपने हाथों को साफ करना अनिवार्य कर दिया है।” “कक्षा की ताकत को प्रतिबंधित कर दिया गया है, जिसके कारण हमें सत्रों को दोहराना पड़ता है। पहले दिन, स्कूल की उपस्थिति पतली थी क्योंकि केवल आधे छात्रों को उपस्थित रहने के लिए कहा गया था,” उन्होंने कहा। “बाकी छात्रों को अगले सप्ताह से बुलाया जाएगा,” उन्होंने कहा, शिक्षकों को पूरे बैच को कवर करने के लिए कम से कम पांच बार एक ही भाग सिखाना होगा।

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बिहार में आने वाली है सरकारी नौकरियों की बहार, 2 लाख वैकेंसी भरने की तैयारी में नीतीश सरकार!

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बिहार में आने वाली है सरकारी नौकरियों की बहार, 2 लाख वैकेंसी भरने की तैयारी में नीतीश सरकार!

Rohini Singh

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बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) के दौरान रोजगार एक बड़ा मुद्दा बना था. महागठबंधन की ओर से सीएम कैंडिडेट तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) ने 10 लाख सरकारी नौकरी का वादा किया तो युवाओं ने उन्हें जमकर समर्थन दिया. हालांकि, महागठबंधन (Mahagathbandhan) की सरकार बिहार में नहीं बन पाई, लेकिन रोजगार के मुद्दे पर नई सरकार भी एक्शन मोड में आ गई है. नए वर्ष में बिहार में बड़ी संख्या में युवाओं को सरकारी नौकरी मिलने की संभावना है. मिली जानकारी के अनुसार, यह संख्या 2 लाख के आसपास होगी.इसमें सहायक प्राध्यापक, शिक्षक, बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, जूनियर इंजीनियर, दारोगा, सिपाही समेत दर्जनों पद शामिल हैं.

बिहार सरकार में वर्ष 2021 में बड़ी संख्या में स्थाई नियुक्ति की संभावना है. इसके लिए बहाली की प्रक्रिया जारी है. कुछ ही महीनों में इसके पूरा होने की संभावना है. इसके तहत शिक्षा विभाग में 4600 से ज्यादा सहायक प्राध्यापक और स्वास्थ्य विभाग में 3270 आयुष चिकित्सक के अलावा 1600 से अधिक इंटरस्तरीय पद, 1050 कनीय अभियंता, 271 न्यायिक सेवा के पदाधिकारी और बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा लिए जानेवाले संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर मिलनेवाली सैकड़ों नौकरियां शामिल हैं. इंजीनिर्यंरग और पॉलिटेक्निक कॉलेज में करीब 3000 शिक्षक के पद भी हैं.


इन विभागों में भी लंबित हैं नियुक्तियां
गौरतलब है कि बिहार पुलिस में ही 27 हजार से ज्यादा पदों पर बहाली की प्रक्रिया जारी है. इसमें दारोगा, सार्जेंट, एएसआई (स्टेनो), सिपाही और चालक सिपाही के पद शामिल हैं. इसके अलावा कारा विभाग के अधीन सहायक जेल अधीक्षक, होमगार्ड में चालक सिपाही और सिपाही, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अधीन वनों के क्षेत्र पदाधिकारी व वनपाल, परिवहन विभाग के अधीन प्रवर्तन अवर निरीक्षक व चलंत दस्ता सिपाही के पद पर बहाली शामिल है.

कांट्रैक्ट वाले पदों पर भी होगी बहाली
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, स्थाई नौकरियों के अलावा संविदा आधारित विभिन्न पदों पर भी बड़ी संख्या में बहाली होनी है. इनमें इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेज में 5000 हजार गैर शैक्षणिक पद, 589 अंकेक्षक, 477 प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी के अलावा इसी विभाग में लेखापाल, तकनीकी सहायक और विशेषज्ञों के करीब 2000 पद शामिल हैं. इसके अलावा जिला, प्रमंडलीय और विभागों में भी बड़े पैमाने पर संविदा या स्थाई नौकरी के लिए नियुक्ति का विज्ञापन जारी किया जा सकता है. हालांकि, इसकी संख्या अभी तय नहीं है. विभागों से ब्योरा मिलने के बाद इसपर निर्णय लिए जाने की संभावना है

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Bihar Politics: तेजस्वी यादव ने पिता व राजद प्रमुख लालू यादव के साये से ही नहीं, रीतियों से भी बनाई दूरी!

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बिहार में सत्ता से दूर रह जाने का असर सिर्फ कांग्रेस पर ही नहीं पड़ा है, बल्कि महागठबंधन के अगुआ राजद में भी हलचल है। सीतामढ़ी के पूर्व सांसद सीताराम यादव समेत कई बड़े नेताओं को छह वर्ष के लिए पार्टी से निकालकर तेजस्वी यादव ने संकेत दे दिया है कि राजद अब बदले जमाने की पार्टी है, जिसमें बागियों और भितरघातियों के लिए कोई जगह नहीं है। राजद में पहली बार चुनाव में प्रत्याशियों की हार के लिए जिम्मेदारी तय की जा रही है और आरोप सत्यापित हो जाने पर कार्रवाई भी हो रही है।

अनुशासन के नाम पर राजद में नया चलन

लालू प्रसाद के साथ राजनीति करने वाले नेताओं को अच्छी तरह याद है कि तब कहीं किसी प्रत्याशी को हराने के लिए कोई काम करता था तो चुनाव बाद आलाकमान द्वारा बुलाकर उसे समझा-बुझा दिया जाता था। राजद प्रमुख अपने अंदाज में डांट देते थे और फिर वह उसी तरह राजद का हो जाता था, जैसे चुनाव के पहले होता था। इसके लिए उदाहरण दिया जाता है कि पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के तीखे बयानों पर भी राजद ने कभी कार्रवाई नहीं की, जबकि 2014 में राजद के टिकट पर सांसद बनने के साथ ही पप्पू यादव ने लालू की सियासी विरासत पर अधिकार जताना शुरू कर दिया था। आगे बढ़कर तेजस्वी का विरोध करने लगे थे। फिर भी लालू ने उन्हें राजद से निकालना जरूरी नहीं समझा, मगर तेजस्वी यादव के कमान संभालने के बाद से ही पुरानी परिपाटी खत्म हो गई। अनुशासन के नाम पर नई चलन शुरू हो गई।

कई विधायकों को दिखाया बाहर का रास्‍ता

इसके संकेत तो चुनाव के पहले ही दे दिए गए थे, जब पार्टी लाइन से अलग चल रहे कई विधायकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। जो छोड़कर चले गए थे, उनकी तो कोई बात नहीं, परंतु जो पार्टी में रहकर भी विरोध का झंडा बुलंद कर रहे थे, उन्हें कार्रवाई के दायरे में लाया गया। तत्कालीन विधायक महेश्वर यादव, प्रेमा चौधरी, अशोक सिंह, संजय सिंह और फराज फातमी को निष्कासित कर दिया गया।


कईयों पर लटक रही निष्‍कासन की तलवार

लालू प्रसाद की गैरमौजूदगी में भी हुए चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के ताज को बरकरार रखने वाले तेजस्वी अब राजद को विचारधारा के स्तर पर भी समृद्ध करना चाहते हैैं। पुरानी लाइन को पीछे छोड़कर नए जमाने के अनुरूप बनाना है और यह तभी संभव है जब छोटी-छोटी कमियों को दूर कर लिया जाए। इसी मकसद से चुनाव के पहले उन्होंने रामचंद्र पूर्वे के बदले जगदानंद सिंह के हाथ में प्रदेश राजद की कमान सौंपी थी। इसी सोच के साथ छोटे-बड़े अबतक करीब दो दर्जन नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है और करीब इतने ही लोगों पर निष्कासन की तलवार लटक रही है।


तब क्या था : लालू प्रसाद के जमाने में बड़े से बड़े अपराध के लिए भी कोई सजा नहीं थी। लालू परिवार और पार्टी के खिलाफ बयान देने पर भी आंख मूंद ली जाती थी। यहां तक कि कारण बताओ नोटिस भी नहीं दिया जाता है। पार्टी छोड़कर अगर कोई चला जाता था तो उसके निष्कासन की विज्ञप्ति जारी कर सिर्फ औपचारिकता निभाई जाती थी।

अब क्या है : सबसे पहले तेजस्वी ने राजद के पोस्टरों से लालू प्रसाद को हटाया। अब उन्हें भी हटा रहे, जिन्होंने चुनाव में राजद के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ अभियान चलाया और हराने की कोशिश की। नतीजे आते ही हार की समीक्षा हुई। पराजित प्रत्याशियों से वजह पूछी गई और बागियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। कई को बाहर कर दिया गया।

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